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छयावादी युग में हास्य व व्यंग्यात्मक काव्य का सृजन

छायावादी युग में हास्य व व्यंग्यात्मक काव्य रचनाओं का सृजन भी हुआ और इस विधा ने एक विशिष्ट रूप धारण किया। कुछ कवियों ने तो केवल हास्य-व्यंग्य की ही काव्य रचनाएं की जबकि अन्य कवियों ने प्रसंगवश या गद्य रचनाओं में इस प्रकार की व्यंग्यात्मक कविताएं रची। ' मनोरंजन ' पत्रिका के संपादक ईश्वरीप्रसाद शर्मा का नाम ऐसी कविता रचने में सर्वप्रथम स्थान पर है। ' मतवाला ',' गोलमाल ',' भूत ',' मौजी ',' मनोरंजन ' आदि पत्रिकाओं में इनकी हास्यरस से भरपूर कविताएं प्रकाशित हुई।इनके काव्य संकलन ' चना चबेला ' में तत्कालीन समाज , राजनीति और साहित्य पर बहुत ही रोचक ढ़ग से हास्य के रंग बिखेरे हैं।इस काव्य संकलन में खड़ी बोली और ब्रजभाषा दोनों की रचनाएं संकलित हैं।   हरिशंकर शर्मा के ' पिंजरा-पोल ' तथा ' चिड़िया घर ' संग्रहों में समाज और धर्म में व्याप्त पाखंड तथा भ्रष्टाचार  पर  कलात्मक ढ़ग से तीखे व्यंग्य किए हैं। यद्यपि उनके ये काव्य-संकलन बहुत बाद में आए। पांडेय बेचन शर्मा ' उग्र ' का इस तरह की काव्य रचनाओं में एक

राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं

छायावादी युग में राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता प्रमुख रूप से लिखी गई।इन कवियों के बारे में हम पिछली पोस्ट में चर्चा कर चुके हैं। आज इस पोस्ट में हम इन कवियों की काव्य कृतियों के संबंध में जानकारी दे रहे हैं:- माखन लाल चतुर्वेदी (1888-1970): काव्य रचनाएं: 1.हिमकिरीटिनी 2. हिमतरंगिणी 3.युगचरण 4.समर्पण 5.माता 6.वेणु लो गूंजे स्वर। बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'(1897-1960): काव्य रचनाएं: 1.कुंकुम 2. अपलक 3.रश्मि-रेखा 4.क्वासि 5. विस्मृता 6. उर्मिला 7.विनोबा-स्तवन 8. प्रेमार्पण । जगन्नाथ  प्रसाद 'मिलिंद'(1907-1986 ): काव्य रचनाएं : 1.जीवन-संगीत 2.नवयुवक का ज्ञान 3.बलिपथ के गीत 4. भूमि की अनुभूति 5. पंखुरियां। सुभद्राकुमारी कुमारी चौहान(1904- 1947 ): काव्य रचनाएं: 1. मुकुल 2.नक्षत्र 3.त्रिधारा । सोहन लाल द्विवेदी (1905-......... ) : काव्य रचनाएं: 1.भैरवी 2.पूजा-गीत 3.वासवदत्ता 4. कुणाल 5.युगारम्भ 6.वासंती 7. बांसुरी 8.मोदक 9. बालभारती।  रामधारी सिंह 'दिनकर' (1908-1974) : काव्य रचनाएं: 1.रेणुका 2. रसवंती 3. द्वंद्वगीत 4. हुंकार 5. धूपछांव 6.सामधेनी 7. बापू  8.कुरुक्षे

छायावादी युग में राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता का विकास

छायावादी युग(सन्1917 से 1936)एक ऐसा कालखंड है जिसमें कविता विविध विषयों के साथ अवतरित हुई।जिस प्रकार रीतिकाल में रीतिबद्ध शृंगार कविता के साथ-साथ वीर रस प्रधान काव्य-धारा का प्रवाह होता रहा,उसी प्रकार आधुनिक काल के इस चरण में राष्ट्रीय काव्यधारा छायावादी और वैयक्तिक कविता के समानांतर प्रवाहित रही। इसमें द्विवेदी युग के मैथिलीशरण गुप्त, सियारामशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी   आदि कुछ कवि तो कार्यरत रहे ही अन्य अनेक सशक्त कवियों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।इन कवियों में माखनलाल चतुर्वेदी,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',जगन्नाथ प्रसाद 'मिलिन्द',सुभद्राकुमारी चौहान,सोहन लाल द्विवेदी,रामधारी सिंह 'दिनकर',उदयशंकर भट्ट,उपेन्द्रनाथ 'अश्क', आदि प्रमुख हैं। अन्य कवियों में गुरुभक्त सिंह 'भक्त',श्यामनारायण पांडेय,विद्यावती 'कोकिल',सुमित्राकुमारी सिन्हा,आरसी प्रसाद सिंह,गोपालशरण सिंह 'नेपाली',अनूप शर्मा,हरिकृष्ण प्रेमी,पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश', बालकृष्ण राव, हंसकुमार तिवारी,रमानाथ अवस्थी आदि हैं।इन कवियों की रचनाओं में सांस्कृतिक चेतना का बहु

हालावादी कवि और उनकी रचनाएं

आज की पोस्ट में हम हालावादी कवियों की रचनाओं का परिचय दे रहे हैं। पिछली पोस्ट में हमने जाना कि हालावाद के प्रवर्तक कवि हरिवंश राय बच्चन जी है। अन्य हालावादी कवियों में भगवती चरण वर्मा,रामेश्वर शुक्ल अंचल और नरेंद्र शर्मा प्रभृति हैं। 1. हरिवंश राय बच्चन(1907-2003): काव्य रचनाएं:1.निशा निमंत्रण 2.एकांत-संगीत 3.आकुल-अंतर 4.दो चट्टाने 5.हलाहल 6.मधुबाला 7.मधुशाला 8.मधुकलश 9.मिलन-यामिनी 10.प्रणय-पत्रिका 11.आरती और अंगारे 12.धार के इधर-उधर 13.विकल विश्व 14.सतरंगिणी 15.बंगाल का अकाल 16.बुद्ध और नाचघर.17.कटती प्रतिमाओं की आवाज। 2.  भगवती चरण वर्मा(1903-1980 ): काव्य रचनाएं: 1. मधुवन 2. प्रेम-संगीत 3.मानव 4.त्रिपथगा 5. विस्मृति के फूल। 3. रामेश्वर शुक्ल अंचल(1915-1996): काव्य-रचनाएं:1.मधुकर 2.मधूलिका 3. अपराजिता 4.किरणबेला 5.लाल-चूनर 6. करील 7. वर्षान्त के बादल 8.इन आवाजों को ठहरा लो। 4. नरेंद्र शर्मा(1913-1989): काव्य रचनाएं: 1.प्रभातफेरी 2.प्रवासी के गीत 3.पलाश वन 4.मिट्टी और फूल 5.शूलफूल 6.कर्णफूल 7.कामिनी 8.हंसमाला 9.अग्निशस्य 10.रक्तचंदन 11.द्रोपदी 12.उत्तरजय।